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विनाश के कगार पर अमेजन का जंगल/destroy The Amazon forest.

विनाश के कगार पर अमेजन का जंगल / 

हम सभी ने अमेजन के जंगल के बारे में तो जरूर ही सुना होगा अमेजन के जंगलों में ही कई सारे खतरनाक जानवरों की शूटिंग की गई है इसे सबसे ज्यादा घना जंगल माना जाता हम सभी जानते हैं कि वायुमंडल में एक प्रतिशत ऑक्सीजन पाया जाता है जिसमें से बीस पर से बीस प्रतिशत लगभग ऑक्सीजन हमें अमेजन से मिलता है आप लोगों ने यह अनुमान तो लगा लिया होगा कि एमेजॉन का जंगल हमारे लिए कितना उपयोगी है।

मानव है अमेजन के विनाश का कारण -;

मनुष्य की बढ़ती आवश्यकता के अनुसार वे प्रकृति से खिलवाड करते जा रहे हैं वैज्ञानिकों का मानना है कि सड़क, आग, तेजी से उगने वाले घास और जलवायु परिवर्तन के कारण दुनिया के सबसे बड़े वर्षावन अमेजन के जल्द ही खत्म होने की आशंका जताई है अमेजन के पेड़ अपने पूरे जीवन में लगभग 100 अरब टन कार्बन का भंडारण करते हैं अमेजन में फैलते आग को देखते हुए कुछ वैज्ञानिकों का कहना है कि दुनिया का सबसे बड़ा वर्षा वन पृथ्वी से अब खत्म हो सकता है और यदि अमेजन खत्म हो गया तो महा विनाश हो जाएगा कुछ शोध के मुताबिक बताया जा रहा है कि यदि कोई बड़े कदम नहीं उठाए गए हैं तो अमेजन जंगल पूरी तरह से एक चरम बिंदु तक पहुँच जाएगा और खुद ही विनाश के कगार पर चला जाएगा इस तरह से जंगलों में स्व गठित विनाश होने का कारण बताया गया है स्व गठित विनाश की इस प्रक्रिया को डाई बैक कहा जाता है वर्ष दो हजार सत्रह में कुल मिलाकर लगभग पन्द्रह रब टन कार्बन का उत्सर्जित किया गया है इसलिए इस बार जरूर ही अमेजन का एक छोटा सा हिस्सा ही नष्ट हुआ है लेकिन अगर ये सिलसिला जारी रहा तो जलवायु परिवर्तन को रोकने वाला यह वर्षा वन जलवायु पर प्रतिक्रिया को और भी तेज कर देगा जो विनाश का कारण बनेगा ।
कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि

अब तक कितने फीसदी वनों का विनाश हुआ ?

ब्राजील की सरकार का अनुमान है कि 19.3 फीसदी अमेजन के वनों का विनाश हुआ है, जबकि लव जाए वैज्ञानिक और  ब्राजील स्थित दूसरे वैज्ञानिक कार्लोस्  नोेब्र्रे ने स्वतंत्र रूप से एक के अनुमान पर पहुंचे और वह है कि 20 से 25 फीसदी वनों का विनाश हो गया है।
बोल्स नारों और जेनिफर दोनों ही एक अच्छे मित्र है जेयर बोल्स नारों ब्राजील के राष्ट्रपति बनने से पहले वे दोनों इस गर्मी में अमेजन के वर्षावन में मानव निर्मित आग के फैलने से पहले जेनिफर और बोल्स नारों और उनके कुछ सहकर्मियों ने इसका अध्ययन किया और उन्होंने बताया कि वर्षा वन में एक दशक के दौरान किसानों द्वारा छोटे छोटे मगर बार बार आग लगाए जाने की घटना को अध्ययन का विषय बताया और कुछ खतरनाक संकेत भी दिए।
उन्होंने परिणाम में बताया कि कई चक्रों में लगी आग भले ही मामूली थाने पहुंचाया लेकिन यदि बारिश कम हो तो भारी संख्या में पेड़ों का सूखना शुरू हो जाएगा 

यह चक्र चार कारकों से उत्पन्न होता है 


जिसमें से तीन मानव निर्मित है जैसे सड़क, आग और तेजी से उगलने वाली घास और जलवायु परिवर्तन 


मनुष्य की बढ़ती आवश्यकताओं के कारण मनुष्य दिन पर दिन की सड़कों का नव निर्माण कर रहे हैं जिससे कि अन्य वन को भी खंडित करते हैं ये प्रत्येक एकड़ के पेड़ों को आग सहन करने या उसे फैलने से रोकने में अक्षम बना देते हैं।

 वैज्ञानिक बाल्ख् कहती हैं कि
 'जैसे - जैसे वनों का विखंडन होता है वैसे वैसे वन के बहुत से हिस्से अंतरक्षित हो जाते हैं जिसके कारण कई हिस्सों के पेड़ सूखने लगते हैं और अन्य खतरों के प्रति संवेदनशील होते हैं तेजी से उगने वाले घास  से उन खतरों में से एक हैं एक जो ज्यादातर वनो के किनारे पाए जाते है।इनके होने से मामूली सी आग भी वर्षा वन के झाड़ झंखाड़ों को समाप्त कर सकती है और फिर घास सूख जाती है और सूखे जलने वाली घास एक आवरण बना देती है जिसके चलते अगली आग ज्यादा नुकसानदेह हो जाती है।'

 ये घास वन को कमजोर बना देती है और सूखे हुए जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को बढ़ा देती है इसकी पूरी प्रतिक्रिया इसलिए खतरनाक नहीं है कि इससे पेड़ सूख जाते हैं बल्कि इसलिए खतरनाक है कि इससे ज्यादा से ज्यादा वर्षा नहीं हो पाती है और वर्षा के क्रम को लगातार घटाती जाती है।


एक अच्छे स्वास्थ वर्षावन में पेड़ वर्षा जल और भूमि के जल का अवशोषण करती है फिर इसे नमी के रूप में बाई मंडल में लाती है जिससे कि अधिक वर्षा हो पाती है लेकिन यही वर्षा वन का हिस्सा जब एक बार कमजोर हो जाता है और टूटने लगता है तो नमी भी इसके कम होने लगती है और परिणाम स्वरूप अगली आग वर्षा वर्ण के अंदर तक पहुंच जाती है और ज्यादा से ज्यादा नुकसान पहुंचाती है और एक समय ऐसा आता है कि जीवन पेड़ों के जीवित रहने के लिए पर्याप्त वर्षा नहीं हो पाती है।

बाल्क् के एक टीम के सदस्य ने बताया है कि ये परिमाण पहले ही देखा गया है

तभी इस खतरे के बारे में यह संकेत दिया गया है यह एक बहुत बड़ा खतरा है जो वन के विनाश पर मंडरा रहा है बायबैक तब होता है जब इसमें से हर तत्व जैसे-; आग, तेजी से उगलने वाली घास, कम बारिश प्रतिक्रिया करके एक लंबी लाइन तैयार कर लेती है

और ये मानव के दिन प्रतिदिन आगे बढ़ने के कारण फल स्वरूप जलवायु परिवर्तन से यह चक्र हर चरण में बहुत ही ज्यादा फैलने लगा है और यदि जलवायु परिवर्तन हुआ तो कई जंगलों में जगह जगह पर आग लगने लगेगी और सारा जंगल तहस नहस हो जाएगा।

 वैज्ञानिक जेनिफर के टीम ने भी आग को अलग अलग हिस्सों में देखा है और उनके भी मन में क्या ये प्रश्न उठता है क्या आवेदन खत्म हो सकता है

क्या Amazon का जंगल हो सकता है ??

कई लोगों का कहना है कि अमेजन वर्षा वन के एकदम चरम बिंदु पर पहुंचने से क्या हो सकता है ? क्या अमेजन कर के जंगल का कोई अस्तित्व नहीं बचेगा वैज्ञानिकों ने इसके आधार पर दो सिद्धांत बताए हैं जिसमें से पहला सिद्धांत यह है कि

 यदि विनाश के क्षेत्र की भूमिका तभी होगी जब नुकसान काफी गंभीर हो जाये और समय के साथ वर्षा वन का हर एकद् जो सूख जाता है और नष्ट हो जाता है वह पड़ोसी क्षेत्रों को अधिक नुक्सान में डाल देता है। 

लेकिन एक अच्छी बात वैज्ञानिकों द्वारा की है

  कि एक हिस्से में यदि डाय बैक हो तो जरूरी नहीं कि पूरे वर्षावन को वह नुकसान में पहुंचा दें 

लेकिन फिर भी यह एक गंभीर विषय है और इसके बारे में एक बड़ा कदम लेना जरूरी है यह अमेजन के जंगलों के लिए काफी गंभीर स्थिति है और अमेजन की मौसम प्रणाली को यह पूरी तरह से समाप्त कर देने वाला है और यदि ऐसा हो गया तो न तो मानव जीवन रहेगा और न एक इसी प्रकार के जीव जंतु पूरा का पूरा अम्फ्व् अमेजन एक वर्षा वन क्षेत्र से केवल एक सूखी घास वाले मैदान में बदल जाएगी और यदि किसी भी तरह से देखा जाए तो अमेजन अपने एक चरम बिंदु तक पहुंच गई है जहां से इसका आत्म विनाश शुरू हो जाएगा।

यह जानकारी पढ़कर आपको कैसा लगा हमें कमेंट में जरूर लिखिएगा और इसी तरह से रिलेटेड यदि और भी जानकारी यदि आपके पास है तो मैं इस ई मेल आइडी पे कॉन्टैक्ट करें पसंद आने पर इसे नाम और आपके फोटो के साथ पब्लिश किया जाएगा/


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