दवा के बिना केवल घरेलू नुस्खे से जीता कोरोना से जंग ।।
बिना ऑक्सीजन सिलेंडर के जीता Corona से जंग
केवल सकारात्मक सोच से हर मुश्किल हर बीमारी को दूर भगाया जा सकता है। इसी तरह की एक कहानी है.... नर्बदा पालीवाल की...
डॉक्टर ने उनके फेफड़ों को 95% खराब बताकर घर भेज दिया लेकिन उस औरत ने 5% मानकर करो ना से यह जंग जीत गई।
जी हां यह एक सच्ची घटना है, नर्बदा पालीवाल जय 46 वर्षीय महिला हैं जिसका निवास स्थान शिशोदा में है। इनको कई दिनों से अपने फेफड़े में प्रॉब्लम था और जब यह डॉक्टर से सलाह लेने और दवा लेने गई तो डॉक्टर ने उन्हें बताया कि संक्रमण के कारण इनका 95% फेफड़ा खराब हो गया है लेकिन इस औरत ने हार नहीं मानी और केवल 5 परसेंट की पॉजिटिव सोच लेकर वह अपने घर गई और कुछ घरेलू नुस्खे से और कुछ दवाइयों से उसने इस जंग को जीत लिया।नर्बदा पालीवाल को हाथ पैर में दर्द, तेज बुखार, और काफी खांसी हो रही थी उनके परिजन ने इन्हें अस्पताल में भर्ती कराया। उनके भाई नंद लाल पालीवाल एक एलडीसी हैं। उन्होंने बताया कि अस्पताल में भर्ती कराने से पहले करो ना की जांच कराई गई और रिपोर्ट नेगेटिव आई।लेकिन फेफड़े में अधिक संक्रमण हो जाने के कारण इन्हें उदयपुर अस्पताल में रेफर किया गया।
उदयपुर में सिटी स्कैन कराने पर 25 में से 23 यानी की 95% फेफड़े में इंफेक्शन पाया गया। नर्बदा पालीवाल को कैंसर भी है,और डॉक्टर ने उन्हें यह कह कर वहां से भेज दिया कि वह आप ठीक नहीं हो सकती क्योंकि फेफड़े में संक्रमण काफी बढ़ गया है। परंतु नर्बदा पालीवाल ने हार नहीं माना और घर पर ही इलाज शुरू करवा दिया। नर्बदा पालीवाल केवल इस सोच के साथ रहे कि उसका फेफड़ा 95% नहीं बल्कि 5 परसेंट संक्रमित हुआ है और इसी सोच ने एक नया रंग दिखाया। और उनका कहना था कि उन्होंने हमेशा ही सोच रखा कि मैं 95% अच्छी हूं। और इसका असर यह हुआ कि आज बहुत ही अच्छी है और आसान की जिंदगी जी रही है।
Carona वायरस से जंग जीतकर महिला ने शेयर किया अपना अनुभव..
यह कहानी है सोनिया देवी की जो federation of co-operative ग्रुप हाउसिंग सोसायटी की अध्यक्ष थी। उनका कहना था कि पहले तो वह काफी दिनों तक ज्वर से ग्रस्त थी। फिर जब उन्होंने अपना बुखार चेक किया तो पाया कि वह 99 डिग्री उन्हें बुखार था। और जब उन्होंने प्राइवेट अस्पताल में चेकअप करेगा तो उनका रिजल्ट नेगेटिव आया
लेकिन फिर भी उनके शरीर में दर्द बना रहता था।
सोनिया रेलवे में काम करती थी इसलिए उन्होंने रेलवे के अस्पताल में चेकअप करवाया।
और इस बार वह क्विट पाई गई और उन्होंने घर में ही अपने आप को आइसोलेट कर दिया। यह दौरान उनका सारा परिवार को क्वॉरेंटाइन में था। लेकिन फिर भी उनकी स्वच्छ positive रही वे हमेशा सकारात्मक चीजें सोचती थी। उनकी छोटी बेटी ने उनका देखभाल किया और उनका हर चीज का ध्यान रखती थी। और उनका एक छोटा बेटा भी था जिसका ख्याल उनकी छोटी बेटी ही रखती थी।
यह बताती थी कि वह 14 दिन तक घर में ही रहें और हमेशा पॉजिटिव ही सोचते रहिए और जब भी उन्हें सांस लेने में दिक्कत होती थी तो वह पेट के बल लेट जाती थी। और वह भी लिया करते थे जिससे उनको काफी हद तक राहत मिला।उनका कहना था कि यदि आप करो ना से रिलेटेड कोई भी चीज देखेंगे या उसके बारे में सोचेंगे तो आपका ऑक्सीजन लेवल ब्लॉक हो जाएगा और आपकी यूनिटी कम हो जाएगी इस वजह से वह हमेशा हास्य सीरियल देखा करती थी जिससे उनको घबराहट जैसी किसी भी तरह की परेशानी नहीं आई।
और आज से लगभग 15 दिन हो गया है और वहकरुणा को मात देकर एक अच्छी जिंदगी जी रही है।
नकारात्मक सोच के कारण इम्युनिटी लेवल कम हो जाती है-
*न्यूरो सैकेट्रिक्स डॉक्टर विनीत अग्रवाल का कहना है कि
* करोना संबंधित किसी से बात ना करें।
*इन सभी चीजों को बुलाने के लिए संगीत गाएं या सुने।
*बच्चों के साथ इन डोर और घर में ही यदि जगह हो तो आऊट डोर गेम खेलें।
*कॉमेडी या आनंददायक सीरियल देखें।
*डरे नहीं, डरने से इम्यूनिटी लेवल कम हो जाता है।
*घर के कार्यों में अपने आप को व्यस्त रखें।
*घर के छत पर या बरामदे में जहां कहीं भी जगह हो वहां बैठकर योगा करें या कसरत करें।
*सकारात्मक सोच रखें और खुश रहने का प्रयास करें।
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